Friday, June 28, 2019

आपने एक बार कहा था कि आप सचिन को ब्लैकपुल लेकर गए

परंपरागत प्रतिद्वंद्वी भारत के ख़िलाफ़ हार के बाद पाकिस्तान ने ज़ोरदार वापसी की है. पाकिस्तान ने दक्षिण अफ्रीका को शिकस्त दी है और इसके बाद टूर्नामेंट में अंक तालिका में शीर्ष पर चल रही और अब तक अजेय रही न्यूज़ीलैंड को भी छह विकेट से हरा दिया है.
इस जीत के साथ ही पाकिस्तान 7 मैचों में तीन जीत के साथ सात अंक लेकर छठे स्थान पर पहुँच गई है और उसने सेमीफ़ाइनल में पहुँचने की अपनी संभावनाओं को बरक़रार रखा है.
पाकिस्तान की वापस जीत की राह पर लौटने के बाद उसकी आलोचना करने वाले तमाम आलोचक और पूर्व खिलाड़ियों के सुर भी बदल गए हैं. भारत से मिली शिकस्त के बाद पाकिस्तान के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ शोएब अख़्तर ने टीम के कप्तान सरफ़राज़ ख़ान को 'ब्रेनलेस कैप्टन' कहा था.
उन्होंने कहा था, ''मेरे कप्तान ने फ़ैसला कर लिया था कि दिमाग़ का इस्तेमाल नहीं करना है. बाबर आज़म कहता है कि विराट कोहली का वो प्रशंसक है लेकिन उससे सीखता कुछ भी नहीं है. इमाम के पास कोई टेक्निक है ही नहीं. वो जिस तरह से आउट हुआ वो तो शर्मनाक है. पाकिस्तान की टीम किस माइंडसेट के साथ खेलती है वो समझ से बाहर है. मुझे बहुत अफ़ोसस है. हमारी मैनेजमेंट के सामने कप्तान मामू बना हुआ है. इमरान ख़ान ने ट्वीट तो कर दिए लेकिन उन्हें सोचना चाहिए कि ट्वीट उनके लिए करें जिनमें क्षमता हो.''
अब न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ जीत दर्ज करने के बाद शोएब ने अपनी टीम के खिलाड़ियों को टाइगर बताया है. उन्होंने कहा, "आपको जगाने के लिए कुछ झटके देने पड़ते हैं, वो आपने लिए. लेकिन आख़िरकार आपने टाइगर की तरह खेला. हालात बिल्कुल 1992 की तरह हैं, देखते हैं क्या होता है."
मूल रूप से भारत के रहने वाले सोली एडम यॉर्कशायर के पूर्व क्रिकेटर हैं, जिन्होंने कई भारतीय और पाकिस्तानी क्रिकेटरों को इंग्लैंड में लीग क्रिकेट खेलने में मदद की.
लेकिन उन्हें विशेषकर तब याद किया जात है जब सचिन तेंदुलकर का जिक्र होता है. सचिन यॉर्कशायर काउंटी क्रिकेट क्लब के लिए खेलने वाले पहले गैर-यॉर्कशायर खिलाड़ी थे.
यह बात 1992 की है, तब क्रिकेट क्लब के लिए वही खेल पाता था, जो वहां का निवासी होता था, लेकिन सोली एडम के प्रयासों की वजह से सचिन पहले गैर-यॉर्कशायर खिलाड़ी बने, जिन्होंने इस क्लब के लिए खेला.
एडम सोली ने बीबीसी के साथ विशेष बातचीत में ये बताया कि यॉर्कशायर में उनका समय कैसा बीता था.
एडम और सचिन के बीच गाढ़ी दोस्ती है. एडम बताते हैं कि सचिन लोगों के लिए क्रिकेट के भगवान होंगे, लेकिन वो मेरे लिए बेटे जैसा है.
वो बताते हैं कि अच्छे और महान क्रिकेटर बहुत हुए हैं लेकिन सचिन उनमें से कहीं अलग हैं.
सोली एडम कहते हैं, "दो किस्म के क्रिकेटर होते हैं, एक गॉड गिफ्टेड होते हैं जो महेनत नहीं करते और दूसरा मेहनती. सचिन के पास गॉड गिफ्टेड टैलेंड तो था ही, वो मेहनत भी काफी किया करते थे. इसलिए भारत के क्रिकेट प्रेमी उन्हें क्रिकेट का भगवान कहते हैं."
यॉर्कशायर में खेलने का मौक़ा मिलना इतना आसान तो नहीं था. बहुत पापड़ बेलने पड़ें. मैंने क्लब वालों से कई मुलाक़ात की और उनसे बहुत झगड़ा करना पड़ा. अंत में वो माने. फिर मैंने सचिन तेंदुलकर का नाम प्रस्तावित किया.
सचिन ने अनुरोध किया था कि सोली भाई मुझे अलग घर देना, लेकिन ड्यूजबरी में ही रहना है. खाने-पीने की तकलीफ नहीं हुई उसे, कपड़े धोने की तकलीफ नहीं हुई क्योंकि उसे तो कुछ आता नहीं था.
कपड़े या तो मेरी भाभी धो देती थी या फिर मेरी पत्नी. खाना खा लेता था. उसकी खाने की कोई फरमाइश नहीं होती थी. जो दे देते थे, वो खा लेता था.
लेकिन वो पिज्जा का शौकीन था. हम दो पिज्जा रात में मंगाते थे. एक हम उसे दे दिया करते थे और एक में हम छह लोग खाते थे.
यह बहुत ही खूबसूरत जगह है, वहां हमलोगों ने खूब मज़े किए. हर राइड की, उसने कोई भी राइड छोड़ी नहीं.
हमलोग बिलियर्ड्स खेलने गए. वो पहले कभी खेला नहीं था. उसने शुरू किया, दस मिनट के अंदर वो दूसरों से अच्छा खेलने लगा.
विनोद कांबली सचिन के सबसे अच्छे दोस्त थे, उनका क्रिकेट करियर इतना अच्छा क्यों नहीं रहा?
विनोद दो साल मेरे कैप्टनशिप में खेला था. वो बहुत प्रतिभाशाली क्रिकेटर था, लेकिन मेहनती नहीं था. सचिन प्रतिभाशाली तो था ही साथ में मेहनती भी था. क्रिकेट मेहनत मांगता है.

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