Thursday, May 2, 2019

एक हादसे ने कैसे एक शख्स को गणित का पंडित बना दिया

गणित ऐसा विषय है, जिसमें बच्चों को अक्सर दिलचस्पी नहीं होती. बच्चों को गणित का टीचर किसी जल्लाद से कम नज़र नहीं आता.
इस विषय को नहीं पढ़ने के लिए बच्चे अपने ही तर्क देते हैं. उन्हें लगता है जोड़-जमा, घटाव और गुणा-भाग तक तो ठीक है लेकिन, रेखागणित और बीजगणित जैसे पेचीदा मसलों का रोज़मर्राह की ज़िंदगी में क्या काम?
लिहाज़ा इसे सीखने में इतनी माथा-पच्ची क्यों की जाए. यही तर्क देते थे अमरीका के अलास्का के बाशिंदे जेसन पैजेट.
उन्हें गणित सीखने में रत्ती भर दिलचस्पी नहीं थी. लेकिन एक हादसे ने उन्हें गणित का पंडित बना दिया. वो भी उम्र के उस हिस्से में जब लोग ज़िंदगी के दूसरे पड़ाव पर पहुंच चुके होते हैं.
जेसन पेशे से कारोबारी हैं और गद्दों का कारोबार करते हैं. उन्होंने अपनी ज़िंदगी बहुत बिंदास अंदाज़ में जी है. पढ़ाई-लिखाई में उन्हें कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं थी. गणित में तो ख़ास तौर से.
लेकिन 12 सितंबर 2002 के बाद उनकी ज़िंदगी पूरी तरह बदल गई. इस रोज़ वो अपने दोस्तों के साथ पार्टी करके लौट रहे थे तभी कुछ बदमाशों ने उन पर हमला कर दिया और उनके सिर पर गहरी चोट लग गई.
हालांकि चोट ती ठीक हो गई लेकिन उनका बर्ताव अचानक बदल गया. उन्हें बाहर निकलने से डर लगने लगा. अगर कोई उनके क़रीब आता तो तुरंत अपने हाथ धोने लगते थे.
यहां तक कि जब उनकी बेटी पास आती थी तो वो उसके भी हाथ पैर धुला करते थे. मेडिकल साइंस में इस बर्ताव को ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर ( ) कहते हैं.
अपने बदलते नकारात्मक बर्ताव के साथ-साथ जेसन ने ख़ुद में एक और बड़ा परिवर्तन देखा. वो हरेक चीज़ को बहुत ग़ौर से देखने लगे.
उन्हें हरेक चीज़ ज्यामिति के आकार की नज़र आने लगी. यहां तक कि नल से आने वाले पानी की बूंदों में भी आकृतियां दिखाई देने लगीं. उनका दिमाग़ गणित और भौतिक विज्ञान में रिश्ता तलाशने लगा.
चूंकि जेसन एकांत जीवन जी रहे थे, ऐसे में इंटरनेट उनका साथी बना. और उन्होंने ऑनलाइन गणित सीखना शुरू कर दिया.
नेट पर उन्होंने गणित के बहुत से कॉन्सेप्ट सीख लिए. हालांकि उनका दिमाग़ जिन तस्वोरों को देखता था वो उसे गणित से जोड़ नहीं पा रहे थे.
एक दिन उनकी बेटी ने उनसे पूछा कि टीवी काम कैसे करता है और यहीं से उनकी मुश्किल आसान हो गई. दरअसल टीवी पर जो तस्वीर हम देखते हैं वो बहुत छोटे-छोटे पिक्सेल से बनती है लेकिन क़रीब से इन पिक्सल को देखें तो ये गोल ना होकर ज़िग-ज़ैग की शक्ल में होते हैं.
ज्यामितीय आकृतियों के प्रति अपना जुनून लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्हें गणित की भाषा जानना ज़रूरी था.
लिहाज़ा उन्होंने गणित सीखने के लिए बाक़ायदा कम्युनिटी कॉलेज में दाख़िला ले लिया और गणित सीखना शुरू कर दिया.
लेकिन बड़ा सवाल यही था कि आख़िर क्या वजह थी कि जेसन पैजेट को ज्यामितीय आकार वाली चीज़ें और ग्राफ़ ही हर जगह क्यों नज़र आते थे. इसके लिए जैसनट ने तंत्रिका वैज्ञानिक बेरिट ब्रोगार्ड की मदद ली.